



सागर.
त्योहारी सीजन आते ही खाद्य विभाग कुंभ करनी नीद से जग जाता है
खाद्य विभाग की जांच रिपोर्ट में देरी के कारण मिलावट से मुक्ति अभियान को पलीता लग रहा है। वहीं मिलावटखोरों की मौज है। खाद्य अधिकारी शहर में मोबाइल वैन और छापामार कार्रवाई कर दूषित सामग्री के सैंपल तो लेते हैं, लेकिन जांच रिपोर्ट में महीनों लग रहे हैं, जब तक रिपोर्ट आती है, तब तक दूषित सामग्री बाजार में खप चुकी होती है। सागर जिले में बीते एक साल में 1228 सैंपल में से 1018 की जांच रिपोर्ट भोपाल स्थित राज्य स्तरीय खाद्य परीक्षण लैब में अटकी हुई है। स्लो मोशन में चल रही कार्रवाई के कारण विभाग भी सिर्फ त्योहार पर ही बाजार में नजर आता है। कार्रवाई की विश्वसनीयता न होने के कारण चलित मोबाइल वैन की हालात और खराब है। यही कारण है कि बाजार में लोग वैन के पास खाद्य सामग्री की जांच कराने नहीं जाते, बल्कि विभाग टारगेट पूरा करने दुकान-दुकान जाकर सैंपल एकत्रित करता है।
औपचारिकता बनकर रह गई चलित वैन
चलित वैन का उद्देश्य था कि बाजार क्षेत्र में यदि कोई ग्राहक दुकानदार या उसके उत्पाद की शिकायत करे तो उसकी त्वरित जांच हो सके और सख्त कार्रवाई हो। लेकिन वैन में भी सिर्फ रंग बदलने जैसी प्राथमिक जांच के ही संसाधन हैं। मुख्य लिटमस जांच के लिए सैंपल भोपाल भेजने पड़ते हैं, इसलिए त्वरित कार्रवाई नहीं होती। यही कारण है कि लोगों की वैन में वस्तुओं की जांच कराने को लेकर विश्वसनीयता नहीं है। विभाग टारगेट पूरा करने कभी दूध-पनीर तो कभी होटलों पर पहुंचकर सैंपल लेता है।
त्योहार पर ही सक्रिय नजर आता है खाद्य अमला
बाजार में खुलेआम बिक रही दूषित सामग्री 35 के नमूने जांच में फेल हो गए
एक साल में विभाग ने मोबाइल वैन से 960 सर्विलांस तो औचक निरीक्षण कर 268 खाद्य सामग्री के सैम्पल लिए हैं। जो रिपोर्ट आईं उनमें 35 नमूने जांच में फेल हो गए, मात्र 9 केस में कार्रवाई कर करीब 70 हजार रुपए का जुर्माना विभाग ने वसूला है। जो सागर जैसे शहर के लिए छोटा आंकड़ा है। ऐसे में साफ होता है कि यहां मिलावटखोर जमकर सरकारी लेटलतीफी का लाभ ले रहे हैं।
फैक्ट फाइल
1228 सैंपल लिए गए
■ 1018 की जांच रिपोर्ट नहीं आई
■ 500 से ज्यादा स्टॉल
80 से ज्यादा होटल और रेस्टोरेंट
128 मामले प्रक्रियाधीन बताए गए
9 केस में निर्णय हुआ
70 हजार रुपए जुर्माना वसूला
मिठाई, पेय पदार्थ व मसाले में भी मिलावट
जिन 9 केस में जुर्माना हुआ है, उसमें मिठाई, पेय पदार्थ, मसाले व अन्य खाद्य सामग्रियों में मिलावट मिल चुकी है। आरोपियों पर जुर्माना तो लगाया जा चुका है लेकिन ठोस कार्रवाई का अभी भी इंतजार है। शहर में अभी भी खाद्य पदार्थों में मिलावट का खेल जमकर हो रहा है। दीपावली त्योहार नजदीक है और एक बार फिर खाद्य विभाग मैदान में आ गया है।
कलेक्टर संदीप जी आर से सीधी बात
सवाल :जो अधिकारी अधिकृत खाद्य निरीक्षण के लिए उनकी कार्यशैली से क्या आप संतुष्ट हैं?
इनके बारे में मेने जो दुकानदारों से पता किया तो वे बहुत ही दिलेरी से जवाब देते हैं कि मंथली फिक्सिंग है , हालांकि वो कैमरे पर बताने से डरते है
जवाब :ऐसा नहीं हे एक ओर हमारी विशेष टीम रहती हे जो जानकारी विभाग की भी देती रहती है और आप को कोई जानकारी हो तो बताए कार्यवाही अवश्य की जाएगी।
सवाल:माना जाता है कि अधिकांशतः नकली मावा , पनीर आदि चंबल से सागर आता है तो क्या इन्हें रोका नहीं जा सकता?
जवाब :बिल्कुल रोका जाएगा इसकी निगरानी कराई जा रही है सूचना मिलती हे तो कार्यवाही की जाएगी और लगातार विशेष निर्देश अधिकारियों को दिए गए है।
सवाल:मिलावटखोरों से जो सैंपल लिए जाते हैं उनकी रिपोर्ट बहुत देरी से क्यों मिलती है और जब तक रिपोर्ट नहीं आती तब तक कोई कार्यवाही नहीं होती
जवाब: सेंपल लेब भेजा जाता है यह एक प्रक्रिया हे जिसके चलते ही कार्यवाही होती हे।
सवाल :आमजनता का खाद्य और औषधि प्रशासन पर आरोप रहता है कि इनका मुख्य उद्देश्य वसूली है इस पर आपका क्या कहना है
जवाब: ऐसा नहीं है इनकी अलग से भी मॉनिटरिंग की जाती है और अगर ऐसा हे तो कार्यवाही की जाएगी।