



सागर
. डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के शिक्षा विभाग तत्त्वावधान में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के नई चेतना 3.0 कार्यक्रम के तहत जेंडर आधारित हिंसा के विरुद्ध जागरूकता अभियान का समापन कार्यक्रम विवि के अभिमंच सभागार में आयोजित किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिवनारायण खरे, सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश एवं वर्तमान में धर्मशास्त्र विधि विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर, विशिष्ट अतिथि खुशबू दांगी (न्यायाधीश सागर) और सामाजिक कार्यकर्ता संजना सिंह थीं. कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की. स्वागत वक्तव्य देते शिक्षा अध्ययनशाला के अधिष्ठाता प्रो. अनिल कुमार जैन ने सात दिवसीय कार्यक्रम का प्रतिवदेन प्रस्तुत किया. विभाग की सहयाक प्राध्यापक डॉ. चिंतन ने कार्यक्रम का संयोजन किया.
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा किये गये सात दिवसीय कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि जेंडर संवेदनशील समाज ही राष्ट्र निर्माण कर सकता है. आज जेंडर आधारित हिंसा के विरुद्ध बहुत से कानून हैं लेकिन उसके बारे में जागरूकता की कमी है. उन्होंने कहा कि कई बार क़ानून का सही ढंग से उपयोग भी नहीं हो पता. बदलते समय में समाज को अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा तभी जेंडर आधारित भेदभाव समाप्त होंगे. शिक्षकों और विद्यार्थियों का यह दायित्व है कि वे समाज को जागरूक करें. तभी हर जेंडर को समाज में बराबरी का स्थान मिलेगा. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में होने वाले विद्यार्थियों के प्रवेश के आंकड़े जेंडर समानताको प्रदर्शित करते हैं. उन्होंने कहा कि समाज में जेंडर संवेदनशीलता और जागरूकता के लिए वे लगातार प्रयास करेंगी कि इस तरह के कार्यक्रम आयोजित हों ताकि समाज में बदलाव लाया जा सके.
विशिष्ट अतिथि खुशबू दांगी ने अपने विधिक जीवन के कई अनुभव साझा किये. उन्होंने बताया कि अपने सेवा के दौरान कई पीड़ित महिलाओं के अनुभव सुनने पड़े जिसमें महिलाओं को घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ा. उन्होंने घरेलू हिंसा, पास्को एक्ट कार्य स्थलों पर होने वाले शोषण, दहेज़ से संबंधित कानूनों सहित कई कानूनी प्रावधानों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने संविधान में मौजूद समानता के अधिकारों और नागरिक कर्तव्यों का भी उल्लेख किया.
विशिष्ट अतिथि संजना सिंह ने अपने जीवन के व्यक्तिगत अनुभव साझा किये. उन्होएँ बताया कि ट्रांसजेंडर होने के कारण बचपन से ही उन्हें भेदभाव का शिकार होना पड़ा. उन्होंने कहा कि लिंग निर्धारण प्रकृति के हाथ में हैं. उसमें किसी भी व्यक्ति गलती नहीं होती और न ही कोई चाहकर उसे बदल सकता है. उन्होंने बताया कि परिवार, समाज और पढ़ाई के दौरान अध्यापकों और सहपाठियों द्वारा कई प्रकार से भेदभाव सहन करना पड़ा लेकिन सभी संघर्षों का उन्होंने डटकर सामना किया. आज समाज में उन्हें समानजनक स्थान मिला है. वर्ष 2016 में मध्य प्रदेश सरकार ने स्वच्छता ब्रांड अम्बेसडर बनाया और वर्तमान में वे चुनाव आयोग की आइकॉन हैं. उन्होंने कहा कि समाज मांगलिक कार्यों में किन्नर समाज को बुलाया जाता है लेकिन उसके बाद उनके उपेक्षा की जाती है.
मुख्य अतिथि शिवनारायण खरे ने अपनी 28 वर्षों की विधिक सेवा के अनुभव साझा किये. उन्होंने बताया कि जेंडर आधारित हिंसा के बहुत से मामले उनके सामने आये जिसका निष्पादन किया. उन्होंने भारत सरकार की योजना नयी चेतना के तहत बनाए गए केन्द्रों के बारे में जानकारी दी जिसमें हिंसा ग्रस्त महिलाओं की हर प्रकार से सहायता प्रदान की जाती है. इसमें चिकित्सा, विधि और पुलिस आदि की सहायता सम्मिलित है. उन्होंने घरेलू हिंसा निवारण अधिनियम, बाल विवाह निषेध अधिनियम के साथ मातृत्व अवकाश आदि के प्रावधानों के बारे में विस्तार से चर्चा की. कई केस स्टडी के माध्यम से उन्होंने बताया कि महिलाओं के संघर्ष से समाज में समानता में वृद्धि हुई है. उन्होंने ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिकार सरंक्षण अधिनियम 2019 और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए स्थापित होने वाले गरिमा ग्रह के बारे में भी जानकारी दी.
*विद्यार्थियों ने लगाईं क्राफ्ट प्रदर्शनी*
शिक्षा शास्त्र विभाग के विद्यार्थियों ने अनुपयोगी वस्तुओं से बनी क्राफ्ट प्रदर्शनी लगाई. प्रदर्शित वस्तुओं में घरेलू उपयोग एवं घरेलू साज-सज्जा की सामग्री थी जिसका अतिथियों ने अवलोकन किया. क्राफ्ट आर्ट शिक्षा शास्त्र विभाग के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम का हिस्सा है.
इस कार्यक्रम के तहत पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसमें प्रथम पुरस्कार निकिता विश्वकर्मा, द्वितीय पुरस्कार जतिन जाटव और तृतीय पुरस्कार अनीशा सिंह को प्राप्त हुआ. संचालन डॉ अपर्णा श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन डॉ नवीन सिंह ने किया. कार्यक्रम में विवि के प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं कर्मचारी गण मौजूद रहे.