



सागर
डॉक्टर हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग एवं महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के संयुक्त तत्त्वावधान में ‘वैदिक वाङ्मय में विज्ञान’ विषय पर त्रिदिवसीय अखिलभारतीय वैदिक संगोष्ठी का समापन विश्वविद्यालय के अभिमंच सभागार में सम्पन्न हुआ। समापन सत्र की अध्यक्षता संगोष्ठी के निदेशक व संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो.आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने की।समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. विजय कुमार सी.जे.कुलपति एवं सारस्वत अतिथि के रूप में राष्ट्रपति सम्मानित प्रो.रहस बिहारी द्विवेदी विराजमान हुए। समापन सत्र का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर मां सरस्वती की आराधना एवं गौर जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। स्वागत भाषण देते हुए संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ शशिकुमार सिंह ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा ज्ञान प्रदान करना सर्वश्रेष्ठ कर्म है। सी.जे.कुलपति प्रो.विजय कुमार ने अपने उद्बोधन में वेदों में विज्ञान विषय पर सूक्ष्मता से प्रकाश डालते हुए बताया कि वैदिक विज्ञान द्वारा ही नवसाहित्य का सृजन किया जा सकता है। वेदों में विज्ञान के बोध हेतु मुख्य रूप से तीन दृष्टि प्रतिबिंबित किए जिसमें सांस्कृतिक व सामाजिक ,राजनीतिक व भौगोलिक एवं वैज्ञानिक महत्त्व आदि विषय शामिल थे। वैदिक ज्ञान व विज्ञान का समन्वय बिगड़ जाने पर भारतीय सामाजिक व्यवस्था में शिथिलता उत्पन्न होती है। संबोधन के अंत में विकसित भारत की बात करते हुए बताया कि आगामी पीढ़ी को ही भारत को विकसित भारत बनाया जा सकता है। सारस्वत अतिथि के रूप में पधारे राष्ट्रपति सम्मानित प्रो.रहस बिहारी द्विवेदी जी ने वैदिक मंत्रों के वर्णों की व्युत्पत्ति को सारगर्भित रूप में प्रतिपादित किया।
प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ सञ्जय कुमार ने बताया कि त्रिदिवसीय वैदिक संगोष्ठी में देश के विभिन्न प्रांतों से आमंत्रित 60 विद्वान उपस्थित हुए। इनको 11 सत्रों में आयोजित किया गया। आज समापन सत्र से पूर्व दो विद्वत् सत्र ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से आयोजित किए गए । आफलाइन विद्वत् सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर अम्बिकादत्त शर्मा ने की अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विज्ञान की विशेषता व 64 प्रकार की विद्या का उल्लेख किए । सत्र का संचालन डॉ प्रदीप दुबे ने की। ऑनलाइन की अध्यक्षता प्रो.ए.पी. मिश्रा ने की जिसमें उन्होंने वैदिक रसायनविज्ञान पर चर्चा की। इस सत्र का सञ्चालन डॉ ऋषभ भरद्वाज ने किया।
समापन सत्र में संस्कृत विभाग के छात्र – छात्राओं द्वारा वैदिक मंगलाचरण तथा सामगान किया गया।
समापन सत्र में संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक शशिकुमार सिंह द्वारा मंच संचालन किया गया, डॉ संजय कुमार द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। साथ ही उन्होंने बताया कि वेद साक्षात् ईश्वर की वाणी है।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ रामहेत गौतम ने किया।
डॉ सदानंद त्रिपाठी एवं डॉ सत्येंद्र कुमार यादव के द्वारा संगोष्ठी की प्रतिपुष्टि दी गई।