सांख्यिकी विश्लेषण में कुशलता से शोध की गुणवत्ता सुधारी जा सकती है: प्रो. अंशुजा तिवारी

सागर.

डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के वाणिज्य विभाग द्वारा आयोजित दो साप्ताहिक क्षमता निर्माण कार्यक्रम के पांचवें दिन का आयोजन बड़े ही उत्साह और ज्ञानवर्धक सत्रों के साथ संपन्न हुआ. कार्यक्रम के पहले दो सत्रों का नेतृत्व प्रो.गोयल ने किया. जिनका विषय ‘रिपोर्ट लेखन और शोध एवं प्रकाशन नैतिकता’ था. जहां आपने रिपोर्ट लेखन की बारीकियों और संरचना पर ध्यान केंद्रित किया और बताया कि एक शोध रिपोर्ट कैसे स्पष्ट, संक्षिप्त और प्रभावी होनी चाहिए, ताकि वह शोध के उद्देश्यों और निष्कर्षों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सके. उन्होंने शोध और प्रकाशन की नैतिकताओं पर जोर देते हुए कहा कि शोध कार्य में ईमानदारी, पारदर्शिता और डेटा की प्रमाणिकता बेहद जरूरी है. साथ ही आपने शोध प्रकाशन के मानकों, संदर्भ देने की पद्धतियों, और प्लेजरिज्म से बचने के उपायों पर भी विस्तार से चर्चा की गई.
तीसरे और चौथे सत्र का संचालन प्रो. अंशुजा तिवारी द्वारा किया गया जहा आपने आँकड़ों के विश्लेषण और केंद्रीय प्रवृत्तियों जैसे माध्य, माध्यिका और मोड के मापन पर ध्यान केंद्रित किया. आपने शोध में इन आँकड़ा-संबंधित मापदंडों के महत्व को समझाया और बताया कि ये कैसे किसी भी डेटा सेट का विश्लेषण करने में सहायक होते हैं. आगे आपने आँकड़ा-संख्या विज्ञान के विभिन्न तकनीकों की चर्चा करते हुए कहा कि केंद्रीय प्रवृत्तियों का सही मापन ही प्रभावी शोध की कुंजी है.
कार्यक्रम के अगले दिनों में भी सांख्यिकी, शोध के तरीकों और डेटा विश्लेषण के विविध पहलुओं पर गहन चर्चा की जाएगी. विशेषज्ञ वक्ता विभिन्न आधुनिक सांख्यिकी तकनीकों और उनके व्यावहारिक उपयोग पर विचार-विमर्श करेंगे, जिससे प्रतिभागियों को अपने ज्ञान का विस्तार करने का अवसर मिलेगा.

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