रोजगार के लिए स्टार्टअप्स के माध्यम से नए युग में प्रवेश – प्रो पी आर अग्रवाल

सागर

डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के अपराध शास्त्र और फोरेंसिक विज्ञान विभाग एवं वाणिज्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘पर्यावरणीय स्थिरता, हरित प्रौद्योगिकी, नवाचार एवं स्टार्ट-अप वेंचर्स: पृथ्वी पर और उससे परे’ विषय पर चल रहे दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। सम्मेलन के सत्र विश्वविद्यालय के अभिमंच सभागार और कौटिल्य भवन में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनो माध्यम में एकसाथ आयोजित किया गया। तकनीकी सत्र में प्रमुख वक्ताओं के रूप में ए.एस.बी.एन. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.के. बाल और प्रो. पी.आर. अग्रवाल (पूर्व कुलपति, पूर्वांचल विश्वविद्यालय) उपस्थित रहे।
मुख्य वक्ता प्रो. आर. के. बल ने अपने विचार ‘स्टार्ट-अप वेंचर्स: नवाचार और स्थिरता’ पर रखते हुए कहा कि स्टार्ट-अप्स को नवाचार और स्थिरता के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए ताकि दीर्घकालिक विकास हो सके। भारतीय स्टार्ट-अप्स के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों का उल्लेख करते हुए बताया कि स्टार्टअप्स के फेल होने का एक प्रमुख कारण यह है की ये अल्पकालिक समाधानों पर विचार करते है जिससे उन्हें अनेक चुनौतियो जैसे फंडिंग की कमी, स्केलेबिलिटी, और बाजार में प्रतिस्पर्धा आदि का सामना करना पड़ता है।
आपने टेस्ला, पेटीएम, और बायजुस का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे टेस्ला ने इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में स्थिरता को बढ़ावा दिया और कार्बन उत्सर्जन कम करने के अवसरों का लाभ उठाया। भारत में, पेटीएम ने डिजिटल पेमेंट्स के क्षेत्र में नवाचार करते हुए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया, जबकि BYJU’S ने शिक्षा को डिजिटल माध्यम से सुलभ बना कर अवसर पैदा किए।
प्रो. बल ने जोर दिया कि आज के स्टार्ट-अप्स को पर्यावरणीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना होगा। नवाचार न केवल आर्थिक लाभ के लिए, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को 15 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए स्टार्ट-अप्स को अपनी भूमिका निभानी होगी।

प्रो. पी.आर. अग्रवाल ने ‘स्टार्ट-अप वेंचर्स: स्थिरता प्रबंधन’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। आपने भारतीय अर्थव्यवस्था को दो युगों में विभाजित किया—1947 से 1991 और 1992 से वर्तमान तक—और बताया कि इन दोनों कालखंडों में आर्थिक नीतियों, बाजार उदारीकरण और स्थिरता के प्रयासों में किस प्रकार बदलाव आया है। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए स्टार्ट-अप्स को स्थायी और पर्यावरणीय रूप से अनुकूल रास्तों पर चलना होगा।
प्रो. अग्रवाल ने बायोफ्यूल, एथेनॉल मिश्रण ईंधन और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे नवीनतम शोध क्षेत्रों पर जोर दिया, जो न केवल प्रदूषण कम करने में सहायक होंगे, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी प्रदान करेंगे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने के लिए जलवायु से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए वैज्ञानिक शोध अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसके बाद सम्मेलन के समापन सत्र का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. वेनवा स्कुफ (फ्रांस) विशेष अतिथि प्रो. चंदा बेन (प्रॉक्टर, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर), प्रो. पी. आर. अग्रवाल उपस्थित रहे। प्रो. बेन ने सम्मेलन की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि इस प्रकार के इंटर डिसिप्लिनरी कार्यक्रम छात्रों एवं शोधार्थियों में शिक्षा की नई चेतना विकसित करेगे और सामूहिक शोध को प्रोत्साहित करेगे जिससे समाज एवं पर्यावरण को लाभ होगा। कार्यक्रम संचालक वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो. जे. के. जैन ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया एवं कार्यक्रम की अभूतपूर्व सफलता के लिए सभी को बधाई दिया।
यह कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में संचालित हो रहा है जिसमें देश-विदेश से आए प्रमुख शिक्षाविदो ने अपना व्याख्यान एवं शोध पत्र प्रस्तुत किया जिसमें अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, बेल्जियम, आईआईटी मद्रास, आईआईटी बॉम्बे, आदि प्रमुख रहे। यह संपूर्ण कार्यक्रम माननीय कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता के संरक्षण में तथा प्रोफेसर जे. के. जैन व प्रो ममता पटेल के निर्देशन, डॉ वंदना विनायक के संयोजन व डॉ रूपाली सैनी के सहसंयोजक में संपन्न हुआ।

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