



*विश्वविद्यालय में हुआ होली नाटक का मंचन*
सागर
डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्याल, सागर में चलाये जा रहे एंटी रैगिंग सप्ताह के तहत स्वर्ण जयंती सभागार में विश्वविद्यालय सांस्कृतिक परिषद और युगसृष्टि समिति, सागर के संयुक्त तत्वाधान में “होली” नाटक का मंचन किया गया.
मूल रूप से मराठी भाषा में लिखित होली नाटक के लेखक महेश एल. कुचवार हैं. इस नाटक में छात्रावास में रहने वाले युवाओं की दिनचर्या, मौजमस्ती के साथ ही रैगिंग जैसी कुप्रथा के दुष्प्रभावों का मार्मिक ढंग से चित्रण किया गया है. छात्रावासी युवाओं के बीच कब मज़ाक क्रूरता में और क्रूरता कब अपराध में बदल जाता है इसको नाटक में अत्यंत कुशलता के साथ दिखाया गया है.
नाटक के मंचन का उद्देश्य विश्वविद्यालयी विद्यार्थियों को रैगिंग जैसी अमानवीय प्रथा के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करने एवं उन्हें इस तरह की गतिविधियों से बचाये रखना था. नाटक की प्रासंगिक कथावस्तु, आकाश विश्वकर्मा, विश्वाराज सुनर्या और प्रवीण का उम्दा निर्देशन, कलाकारों के दमदार अभिनय के कारण ‘होली’ नाटक अपने उद्देश्य में सफल रहा.
कलाकारों में विश्वाराज सुनर्या, प्रवीण केमया, अमन ठाकुर, अर्पित दुबे, अखिलेश, शुभम पटेल,विशु, निक्की, सागर ठाकुर,रिया, सिया, पूर्वा,यश्विनी शुभम, अप्रतिम मिश्रा, देव, आकाश श्रीवास्तव, आनंद, आयुषी, कृष्णा देवलिया आदि ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया.
संगीत – यशगोपाल तथा पार्थो घोष और रंगसज्जा (लाइट ) – शुभम शरण का रहा.
नाटक के प्रारम्भ में डॉ. राकेश सोनी ने कुलानुशासक प्रो. चंदा बैन और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी का पुष्पगुच्छ के साथ स्वागत किया. नाट्य प्रस्तुति के समय डॉ. राजेंद्र यादव, डॉ. संजय नैनवाड़, डॉ. वंदना राजोरिया, डॉ. हिमांशु यादव के साथ ही बहुत बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे.