डॉ अंबेडकर एक ऐसी किताब हैं जिनके पन्ने कभी खत्म नहीं होते- कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता

सागर
डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में डॉ आंबेडकर जयंती के उप लक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने कहा कि डॉक्टर अम्बेडकर एक ऐसी किताब हैं जिनके पन्ने कभी खत्म नहीं होते। उनके व्यकितत्व के अनगिनत पहलू हैं। किसी भी पहलू पर बात करें तो समय कम पड़ जाए। वे एक महामानव थे। एक अपराजेय नायक थे। स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व के पैरोकार डॉ अंबेडकर संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना के शिल्पकार थे। उनका शिक्षा, समाज, स्त्री मुद्दों, अर्थशास्त्र, पत्रकारिता, राजनीति और नागरिक समाज से जुड़े प्रत्येक मुद्दों पर अपनी एक अलग दृष्टि थी। वही दृष्टि आज के विकसित भारत की परिकल्पना में महती भूमिका निभा रही है। डॉ आंबेडकर के विचार और दर्शन के बिना विकसित भारत की परिकल्पना नहीं साकार होगी। वे समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के कल्याण और सशक्तिकरण की बात करते थे। यही आत्मनिर्भर भारत, विकसित भारत और विश्वगुरु भारत की परिकल्पना का मूल लक्ष्य है। उन्होंने विवि के डॉ आंबेडकर चेयर के तहत किये जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि डॉ विश्वविद्यालय में डॉ अम्बेडकर चेयर के अतिरिक्त समाज के कमजोर तबकों के विद्यार्थियों के लिए निःशुल्क कोचिंग भी संचालित है। इसके अलावा शीघ्र ही विश्वविद्यालय में डॉ अम्बेडकर को समर्पित एक विशाल अध्ययन केंद्र भवन के रूप में आकर लेगा जो प्रस्ताव की स्वीकृति के उपरांत निर्मित होना आरंभ हो जाएगा।

मुख्य वक्ता के तौर पर आमंत्रित अतिथि इंडियन इकोनॉमिक एशोसिएशन के सचिव प्रो रवींद्र ब्राम्हे ने कहा कि डॉ आंबेडकर कहते थे कि कृषि के विकास के लिए औद्योगिकरण आवश्यक है। वे चाहते थे कि आर्थिक और सामाजिक विकास सबका होना चाहिए। शिक्षा राजनीति, आर्थिक, सामाजिक विकास के माध्यम से सबका कल्याण होना चाहिए । भारत की जनसंख्या अधिक है इसलिए इस जनसंख्या को श्रम शक्ति के रूप में देखना चाहिए और इसका सही उपयोग करना चाहिए। 2047 में हम विश्व की सबसे बड़ी श्रम शक्ति होंगे वही हमारे आर्थिक विकास पर विकसित भारत का मार्ग बनाएगी । महिलाओं के आर्थिक रूप से सबलता के लिए कृषि क्षेत्र का भी औद्योगिकरण अति आवश्यक है।

कार्यक्रम में प्रो चंदा बैन ने कहा कि बाबासाहब एक जुनूनी शख्शियत थे। शिक्षा प्राप्त करने केलिए उन्होंने काफी संघर्ष किया। उनका जीवन संघर्ष आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने समाज के वंचित तबकों केलिए आवाज उठाई। वे शिक्षा को बदलाव का सबसे बड़ा हथियार मानते थे। वे सामाजिक बदलाव के प्रवर्तक थे, आधुनिक विचार और प्रगतिशील विचारों के प्रस्तोता थे। प्रो अजीत जायसवाल ने भी डॉ अम्बेडकर के दर्शन, विचार एवं कार्यों का स्मरण करते हुए उनको श्रद्धाजलि दी।

कार्यक्रम का संचालन डॉ देवेंद्र ने किया। कार्यक्रम में डॉ संजय शर्मा, डॉ हिमांशु, डॉ विवेक जायसवाल, डॉ रविदास , डॉ बेंद्रे, अजब सिंह, एवं बड़ी संख्या में एनएसएस के स्वयंसेवक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में अध्यक्षता डा बेंद्रे एवं डॉ आशुतोष ने की। इस सत्र में 15 शोध पत्रों का वाचन किया गया और कई शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने बाबासाहब पर केंद्रित अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन डॉ रमाकांत ने किया.

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