मातृभाषा हमारी अस्मिता, सामाजिकता और सांस्कृतिक उन्नयन का प्रतीक है


सागर, डाक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 21 फरवरी से 28 फरवरी, 2024 तक मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस सप्ताह के द्वितीय दिवस में दिनांक 22 फरवरी 2024 को मातृ भाषा विषयक व्याख्यान जिसका शीर्षक: ‘मातृ भाषा में जीवन व्यवहार एवं शिक्षा’ का आयोजन विश्वविद्यालय के मालवीय मिशन प्रशिक्षण केंद्र, सागर (पूर्ववर्ती मानव संसाधन केंद्र) में माननीय कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता जी के मार्गदर्शन एवं संरक्षण में प्रातः 11 बजे से आयोजित किया गया है, कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. अनिल कुमार जैन विभागाध्यक्ष, शिक्षाशास्त्र विभाग ने मातृ भाषा के आवश्यकता एवं उपादेयता पर बात करते हुए कहा कि मातृभाषा सिर्फ सम्प्रेषण या अभिव्यक्ति का माध्यम ही नही है बल्कि भारत जैसे बहुभाषी देश में या जीवन व्यवहार एवं शिक्षा का मूलभूत आधार भी है, विश्व के सभी देशों में विकासात्मक मॉडल में अपनी मातृभाषा के समावेशन का प्रतिविम्ब समाहित है, कार्यक्रम नोडल अधिकारी प्रो. अजीत जायसवाल, निदेशक, संकाय मामले ने मातृभाषा सप्ताह के अंतर्गत आयोजित किये जा रहे विभिन्न गतिविधियों का उल्लेख करते हुए कहां कि हमे यह निश्चित रूप से सोचना चाहिए कि आज हमें मातृभाषा को लेकर दिवस मनाने की परम्परा क्यों आरम्भ करनी पड़ी. सार्वभौमिकीकरण के इस युग में भाषा हमारी सामाजिकता, सांस्कृतिक उन्नयन एवं अस्मिता का महत्वपूर्ण प्रतीक है, हमें अपने जीवन व्यवहार एवं शिक्षा में मातृभाषा के प्रयोग को बढ़ाना ही होगा।
कार्यक्रम की रूपरेखा डॉ. रजनीश, मंच संचालन डॉ. पुष्पिता एवं डॉ. सावन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नवीन सिंह ने किया, इस अवसर पर डॉ. रानी दुबे, डॉ. रश्मि जैन, डॉ. धर्मेंद्र सर्राफ़, डॉ. अभिषेक,डॉ. मेघा दास, डॉ. चिंतन, अपर्णा श्रीवास्तव, डॉ.शिवशंकर, डॉ.योगेश, डॉ. शकीला सहित शिक्षक, शोधार्थी, एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे.

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