ओडिशा के सेंटर फॉर आदिवासी रिसर्च एंड डेवलपमेंट और विश्वविद्यालय बीच संपन्न हुआ अकादमिक समझौता

आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए अकादमिक पहल करेगा विश्वविद्यालय-प्रो. नीलिमा गुप्ता
सागर

डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर और सेंटर फॉर आदिवासी रिसर्च एंड डेवलपमेंट, ओडिशा के बीच आदिवासी विकास और इससे सम्बंधित शोध एवं अध्ययन के लिए एक अकादमिक समझौता हुआ. दिनांक 20 से 23 जनवरी तक ओडिशा के रोवेनशॉ विश्वविद्यालय, कटक में तिरालिसवें वार्षिक ओडिशा हिस्ट्री कांग्रेस के तत्त्वावधान में आईसी सीएसआर, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित ‘इंटरनेश्नल कॉनक्लेव ऑन आदिवासी क्वेश्चन एंड पॉलिसी रोडमैप’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में यह अकादमिक समझौता संपन्न हुआ. विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रो. किशोर के. बासा, रोवेनशॉ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. संजय के. नायक स्थानीय सांसद श्री भर्तृहरि महताब, विधायक श्री सौविक बिस्वाल, ओडिशा हिस्ट्री कांग्रेस के अध्यक्ष प्रो. हरिहर पंडा की गरिमामयी उपस्थिति में यह अकादमिक समझौता (एमओयू) संपन्न हुआ.
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि आदिवासी समुदाय के विकास की दिशा में विश्वविद्यालय का यह एक अहम प्रयास है. विश्वविद्यालय और सेंटर फॉर आदिवासी रिसर्च एंड डेवलपमेंट (CARD) संयुक्त रूप से अपने शोध एवं परियोजनाओं के माध्यम से आदिवासी विकास पर अध्ययन करेंगे और पॉलिसी दस्तावेज के साथ-साथ नवाचारी कार्यक्रम भी चलाएंगे ताकि आदिवासी समाज को हम मुख्यधारा से जोड़ सकें और विकसित भारत की संकल्पना साकार हो सके. इस अकादमिक समझौते के माध्यम से हम आदिवासी समाज के सर्वांगीण विकास के लिए मिलकर कार्य करेंगे. कार्यक्रम में इस अकादमिक समझौते के समन्वयक एवं विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग के प्रो. अजीत जायसवाल ने वक्तव्य देते हुए कहा कि हमें इस बात की पड़ताल करनी होगी कि हम आदिवासी समाज के विकास की दिशा में किन आयामों पर पिछड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि हमें आदिवासी समुदाय का वास्तविक विकास करना है तो हमें आदिवासी समाज को साथ में जोड़कर कार्य करने की आवश्यकता है.
कार्यक्रम में सेंटर फॉर आदिवासी रिसर्च एंड डेवलपमेंट के अधिकारीगण, रोवेनशॉ विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी एवं हिस्ट्री कांग्रेस के प्रतिभागी उपस्थित थे.

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