समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए शिक्षा का उपयोग करें विद्यार्थी- कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता

सागर

डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के गौर प्रांगण में राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस धूमधाम से उल्लासपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने ध्वजारोहण किया। ध्वजारोहण के उपरांत राष्ट्रगान हुआ और कुलपति ने सभा को संबोधित किया।

उन्होंने राष्ट्रीय-पर्व गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ एवं बधाई देते हुए कहा कि 26 जनवरी का दिन हमारे लिए गौरव और प्रेरणा का प्रतीक है। इसी दिन हमारे देश ने एक राष्ट्र के रूप में अपने महान संविधान को अंगीकार कर उन्नत भविष्य की आधारशिला रखी थी और इसी संविधान ने हमें एक आजाद एवं सम्प्रभु राष्ट्र के सम्मानित नागरिक होने का अधिकार और गरिमा प्रदान की है। हम आज के दिन को लोकतांत्रिक आदर्शों के महापर्व के रूप में देखते और मनाते आये हैं। मैं उन महान विभूतियों को नमन करती हूँ, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया और जिन्होंने इस देश को एक लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक और समतामूलक राष्ट्र बनाने के लिए संविधान का निर्माण किया।
उन्होंने कहा कि हमारा संविधान केवल एक दस्तावेज़ नहीं है, यह हमारे देश के मूल्यों, सिद्धांतों, और आदर्शों का प्रतिबिंब है। यह हमें समानता, स्वतंत्रता, और न्याय के सिद्धांतों पर चलने की प्रेरणा देता है। संविधान के सार्वभौमिक आलोक में आज हमारा देश चुतर्दिक प्रगति कर रहा है। आज का भारत आत्मनिर्भर बनने की दिशा में निरंतर प्रगति कर रहा है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारा देश वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति को सशक्त कर रहा है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में हमारी शिक्षा और शोध का योगदान हो.
हम इस मायने में सौभाग्यशाली हैं कि हम एक ऐसे शैक्षणिक संस्थान के जुड़े हैं जिसके संस्थापक डॉ. सर हरीसिंह गौर स्वयं संविधान-सभा के सम्मानित सदस्य थे। हमारा विश्वविद्यालय गौर साहब जैसे पुरोधा के शैक्षिक संकल्पों की जीवित अग्निशिखा है। यह हमें याद दिलाता है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जित करना नहीं है, बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति के लिए योगदान देना है। डॉ. गौर ने अपने जीवन में शिक्षा को एक सामाजिक सुधार के साधन के रूप में देखा। उनका यह दृष्टिकोण आज भी हमारे लिए प्रेरणादायक है। हम सभी को उनके विचारों का अनुसरण करते हुए, शिक्षा को देश के विकास के लिए उपयोग करना चाहिए।
उन्होंने विश्वविद्यालय में हो रहे अकादमिक नवाचारों और उपलब्धियों को साझा करते हुए कहा कि हमारा विश्वविद्यालय अपने अकादमिक गौरव में निरन्तर श्रीवृद्धि कर रहा है और हम एक श्रेष्ठतम शैक्षिक संस्थान के रूप में अपनी अभिनव उपस्थति दर्ज करा रहे हैं। आज हमारा विश्वविद्यालय बड़े स्तर पर शैक्षिक नवाचार, प्रशासनिक दक्षता एवं अकादमिक दृढ़ता के साथ कार्य कर रहा है। पारम्परिक ज्ञान, भारतीय-बोध के साथ ही विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में हम वैश्विक स्तर की तकनीकी से सक्षम, संवेदनशील और चेतनावान नागरिक निर्मित कर रहे हैं। विश्वविद्यालय के शोधार्थियों एवं शिक्षकों के श्रेष्ठ प्रकाशनों और अकादमिक सम्मानों के साथ विश्वविद्यालय की अकादमिक गरिमा राष्ट्रीय स्तर पर रेखांकित की जा रही है।
उन्होंने कहा कि 26 जनवरी कैलेण्डर का एक दिन मात्र नहीं है, यह हमारे राष्ट्र के सनातन जागरण का दिन है। यह हमारे संविधान की सम्प्रभु सम्पन्न्ता का दिन है। इसलिए मैं विशेष तौर पर अपने विद्यार्थियों से कहना चाहती हूँ कि आप सभी इस राष्ट्र का भविष्य हैं। आपका ज्ञान, आपकी सोच, और आपके प्रयास ही इस देश की दिशा और दशा तय करेंगे। आज के इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में, आपको अपनी क्षमताओं को पहचानने और उन्हें विकसित करने की आवश्यकता है। आपको अपने अधिकारों का उपयोग करना है, लेकिन इसके साथ-साथ अपने कर्तव्यों का पालन भी पूरी निष्ठा से करना है। आज, जब हमारा देश आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अग्रसर हो रहा है, तब आपकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। शिक्षा के साथ-साथ, आपको नैतिक मूल्यों और अनुशासन का भी पालन करना होगा। जब आप शिक्षा को समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए उपयोग करेंगे, तभी आपका ज्ञान सार्थक होगा।
समारोह में विश्वविद्यालय के शिक्षक, सेवानिवृत्त शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

*गौर भवन में भी हुआ ध्वजारोहण, एनसीसी कैडेट्स ने दी सलामी*
कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने गौर भवन में भी ध्वजारोहण किया। एनसीसी कैडेट्स ने कुलपति को सलामी दी।

*विद्यार्थियों ने प्रस्तुत किए देशभक्ति गीत*
गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय के अभिमंच सभागार में संगीत विभाग के विद्यार्थियों ने देश भक्ति आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. अवधेश तोमर, डॉ. राहुल स्वर्णकार एवं सांस्कृतिक समन्वयक डॉ राकेश सोनी ने किया।

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