



विवेक साहू गढाकोटा
दो सौ साल पुराने रहस मेला में इस बार आचार संहिता के चलते रहस लोकोत्सव का आयोजन नहीं हो सका ।
बसंत पंचमी से होली तक भरने वाले रहस मेला में रहस लोकोत्सव के आयोजन में शासन की विभिन्न प्रकार की योजनाओं का लाभ लोगों को दिया जाता था । इसके साथ रात्रि कालीन में लोगों के मनोरंजन हेतु लोक नृत्य राई भी होती हैं।
लेकिन इस बार क्षेत्र के लोगों को मायूसी रही क्योंकि मनोरंजन के साधनों के साथ-साथ बुंदेलखंड की प्रसिद्ध लोक नृत्य रहस मेला में मशहूर रहती थी,
जहां दूर दराज से आए हुए लोग राई नृत्य का आनंद लेते थे। मेला नहीं भरने से राई नृत्य का आयोजन भी नहीं हो सका।
गैरतलब है कि दो सौ वर्ष पुराने रहस मेला को राजकीय मेला का दर्जा नहीं मिल सका। जो प्रदेश में भी अपनी अलग पहचान रखता है ।
सन् 2003 से 2023 तक 20साल यहां रहस लोकोत्सवों का आयोजन तत्कालीन
कैबिनेट मंत्री एवं वर्तमान विधायक पं. गोपाल भार्गव कराते आए हैं।जिसमें शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ लोगों को दिलाया जाता है ।
एवं बसंत पंचमी से होली के मध्य यह आयोजन संपन्न किए जाते रहे हैं ।और क्षेत्र की प्रतिभाओं को एक मंच मिलता रहा जहां वह अपनी हुनर कला से आगे बढ़ने हेतु मौका मिलता है ।कई प्रतिभाओं को मंच आगे बढ़ाने की राह आसान बनाता है।
एवं छोटे-छोटे दुकानदारों को आजीविका चलाने में मेला मददगार के साथ साथ से आय के माध्यम का जरिया बना था।
इस बार लोकसभा की आचार संहिता लगने से इस बार रहस लोकोत्सव आयोजित नहीं हो सका। जिससे क्षेत्र वासियों एवं खासकर ग्रामीणों में मायूसी के साथ साथ चर्चा रही।
फोटो। आचार संहिता के चलते नहीं हो सका रहस लोकोत्सव का आयोजन इसी रहस मैदान में मंच टेंट पंडाल लगाया जाता था।