संसार में आज लोग पूतना की तरह आवरण किए घूमते हैं, जैसे हैं वैसे नहीं रहते-इंद्रेश जी महाराज

ठाकुर जी स्वभाव देखते हैं, सांसारिक लोग प्रभाव देखते हैं इसलिए जैसे हो वैसे रहो

सागर

भगवान को मारने कंस द्वारा भेजी गई राक्षसी पूतना ऐसा सुंदर रूप बनाकर पहुंची की उसका प्रभाव पूरे गोकुल पर दिखने लगा। सभी उसकी ओर आकर्षित हो रहे थे। ऐसा सौंदर्य की जिसे देखकर यशोदा भी सोचने लगी कि मेरा लल्ला यदि कुछ वर्ष पहले पैदा होता इसी से विवाह कर देती। लेकिन जैसे ही ठाकुरजी उसकी गोद में आये उन्होंने आंखें बंद कर ली। भगवान को आडंबर नहीं भाता पूतना वास्तविक रूप को छिपाकर आई थी। संसार में आज लोग पूतना की तरह ही घूम रहे हैं। आवरण किये हुए हैं जैसे हैं वैसे नहीं रहते। जैसा देश वैसा वेश उन्हें नहीं चाहिए भगवान के लिए तो आप जैसे हैं वैसे ही प्रिय हैं। इसलिए ठाकुर जी ने नेत्र बंद कर लिए यह विचार कथा व्यास पूज्य श्री इंद्रेश जी महाराज ने श्री बालाजी मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के पंचम दिवस् प्रकट किए।

पूज्य श्री इंद्रेश जी महाराज ने विचार प्रकट करते हुए कहा कि आवरण मुक्त व्यक्ति ही ठाकुर जी को प्रिय लगता है। आप सरल रहिए सहज रहिये आप उन्हें जैसे प्रिय हैं वैसा ही ठाकुरजी ने आपको जैसा बनाया है। यह बात बालाजी धाम में आयोजित भागवत कथा के पांचवे दिन वृंदावन से पधारे कथा वाचक पं इंद्रेश जी महाराज ने कही। उन्होंने ठाकुर जी की लीलाओं का सुंदर और मोहक वर्णन किया जिसमें अन्न के एक दाने के बल पर फल ख़रीदने निकल पड़ने की लीला और यशोदा मैया को सताने की लीलाओं का वर्णन किया। इस बीच भजन, गीत और पदों का संगीतमय कीर्तन सुन श्रोताओं ने भक्तिमय नृत्य किया। उन्होंने सागर के अटल बिहारी सरकार की कथा भी सुनाई। जिसमे की ठाकुर जी ने मंदिर में भोग की व्यवस्था नहीं होने पर स्वयं सेठ बनकर अपने लिए प्रसाद खरीदने की मार्मिक कथा सुनाई। उन्होंने बुंदेलखंड और ब्रिज के संबंध को बताते हुए कहा कि ऐसी लीलाएं या तो ठाकुर जी वृंदावन में करते हैं या फिर सागर में।

मंथन से मिलते है ठाकुरजी

जिसने सहन नहीं किया उसे ठाकुर जी कभी नहीं मिलते। देवकी वासुदेव हों, यशोदा हों, सुदामा हों, राधा हों, पांडव हों सभी को सहनया पड़ा है। यह सहना ही मंथन है। आपको कोई दो आप शब्द कहे तो आप चार सुना देते हैं। आप मंथन होने ही नहीं देते फिर अमृत कहाँ से मिलेगा। आत्म चिंतन भी मंथन ही है।

कथा व्यास पं. इन्द्रेष जी महाराज श्री ने कहा कि मंथन से अमृत प्रकट होता है, भाव प्रकट होता है। कुंभ नहाने करोडो लोग क्यो जा रहे है क्योंकि वहां जब देवताओ ने समुद्र मंथन किया था जब एक बुंद अमृत की प्रयागराज में गिरी थी, इसलिए लोग वहां कुंभ नहाने जा रहे है। चिंतन करने वाला ही सहनषील हो सकता है। सहनषीलता व्यक्ति में नहीं है तो उसे ठाकुर जी भी नहीं मिलेगे। यषोदा माई ने भी 80 वर्ष तक सहनषीलता रखी तब ठाकुर जी देवकी के यहां आये और फिर जाकर यषोदा जी को प्राप्त हुये। महाराज श्री ने कहा कि जल्द ही फिर सागर आयेगे जैसे ही कहा पूरा बालाजी मंदिर प्रांगण तालियों से गुंज उठा।

कथा में प्रभु ठाकुर श्री गिरधर लाल जी पधारें प्रभु को छप्पन भोग लगाया गया। श्री इंद्रेश जी महाराज ने आरती उतारी और पुष्पांजलि अर्पण किया।

पूज्य श्री ने श्रीमद भागवत कथा के समापन दिवस में समय परिवर्तन की सूचना व्यास मंच से दी पूज्य श्री ने कहा कि 5 फरवरी, दिन बुधवार को कथा सुबह 10 बजे से प्रारंभ होगी।

गिरिधर लाला संग भक्तों ने मनाया बसंतोत्सव

आयोजन समिति मीडिया प्रमुख श्रीकांत जैन ने बताया कि बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मुख्य यजमान शैलेन्द्र कुमार जैन के निवास स्तिथ संत निवास पर वृंदावन से पधारे श्री गिरिधर लाल जी संग बसंतोत्सव में मुख्य यजमान अनुश्री शैलेन्द्र कुमार जैन एवं उपस्थित भक्तों ने होली खेली। इस अवसर पर अबीर गुलाल संग रंग की होली भी जमकर खेली गई। कथा व्यास पूज्य श्री इंद्रेश जी महाराज ने पदावली के संग होली के मस्ती भरे भजनों से भक्तों को भाव विभोर कर दिया। इतना गुलाल उड़ा कोई किसी को पहचान नहीं पा रहे थे । इसी अवसर पर ग्यारह पीली वस्तुओं का भोग लगाया गया। अपार जन समूह के मध्य पूज्य कथा व्यास जी ने भी होली खेली।

श्रीमद भागवत कथा मे श्री रामबाग मंदिर के महंत जी घन श्याम दास जी महाराज ने व्यास मंच से कथा का श्रवण किया। पंचम दिवस की कथा प्रांरभ एवं विश्राम के पूर्व मुख्य यजमान अनुश्री शैलेन्द्र कुमार जैन विधायक सागर ने सपरिवार कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ब्रजकांत जी (प्रांत प्रचारक राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ),मुकेष जी (राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ), मनीषा जाट जी (सीईओ कैन्ट बोर्ड), धीरेन्द्र मिश्रा, सचिन आनंद, नेवी जैन, संजय मुखारिया, सुरेन्द्र सुहाने, डॉ. दषरथ मालवीय, डॉ. नीलेन्द्र राजपूत जी, सुनीता रैकवार, मीरा चौबे, डॉ. आनंद तिवारी ने आरती की। कथा में हज़ारों की संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।

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