मात्र 1 दिन के रुई के मुनाफे से बनाया गया था घुनघुनिया मंदिर

गढ़ाकोटा में जैन समाज का यह सदियों पुराना मंदिर बुंदेलखंड के तीर्थ क्षेत्र में है शुमार

विवेक साहू गढ़ाकोटा ।

 

नगर से 1 किलोमीटर दूर बने जैन मंदिर जिसे घुनघुनिया मंदिर के नाम से जाना जाता है ।यह तीर्थ क्षेत्र अपनी संस्कृति और इतिहास का जीवंत उदाहरण है ।बुंदेलखंड की भूमि पर ऐसे पावन जैन तीर्थो की श्रृंखला है जिनके दर्शन मात्र से तन और मन दोनों को पवित्रता मिलती है ।

श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र पटेरिया जी मंदिर कमेटी के कोषाध्यक्ष सेठ आदेश जैन ने बताया कि

गढ़ाकोटा में स्थित अतिशय क्षेत्र पटेरिया जी एक ऐसा ही पावन तीर्थ है जिसका इतिहास सदियों पुराना है।

इस मंदिर की बड़ी विशेषता है कि 300 वर्ष पूर्व जब मंदिर के निर्माण उत्तर शैली भारत से अपनी पहचान खो रही थी उस समय गुबंद और महराबों जैसे मुगल वास्तु प्रतीको की उपेक्षा करके अपने लिए मराठा शैली से मिश्रित एक अलग प्रकार की भारतीय मंदिर शैली को ग्रहण किया। इसकी प्रतिष्ठा माघ सुदी अष्टमी संवत 1839 में हुई थी।

इसके प्रतिष्ठारक जैन समाज के बानौनया वंश शिरोमणि मोहनदास रामकिशन शाह ने रूई के व्यापार में 1 दिन के मुनाफे से करवाई थी ।यहां अन्य राज्य से भी लोग दर्शन करने आते हैं । अतिशय क्षेत्र पटेरिया जी सागर से 45 किलोमीटर पूर्व की ओर एवं दमोह से 32 किलोमीटर है।

क्यों पड़ा घुनघुनिया मंदिर नाम

किंवदंती है । आधी रात में देवों द्वारा भगवान पार्श्वनाथ की भक्ति की जाती थी ।और पहले घंटियों की आवाज आती थी ।इसलिए इसका नाम घुनघुनिया मंदिर पड़ा ।यहां पूर्व की ओर एक स्तंभ है जिसे भट्टाचार्य महेंद्र कीर्ति ने अपनी साधना से अभिमंत्रित किया था।

दूसरी किवदंती है कि

प्रत्यक्षदर्शी सेठ आदेश जैन ने बताया कि भाद्रपद कृष्ण सप्तमी गुरुवार 20 अगस्त 1992 की है अशोकनगर से एक विनयाॅजली यात्रा संघ जो कुंडलपुर की यात्रा कर अतिशय क्षेत्र पटेरिया जी पर आया था। शाम 7 बजे संघ पटेरिया वाले बाबा की भक्ति में लीन था कि देखते ही देखते पटेरिया वाले बाबा श्री चिंतामणि त्रिफणी सांवलिया पारसनाथ प्रभु की तीनों प्रतिमाओं से अचानक जल प्रभाव होने लगा जो रात्रि 1 बजे तक चला।पूरा नगर जनसमूह भक्ति में लीन हो गया भक्ति से कुछ यात्रीगण मंदिर की परिक्रमा में ही सो गए मंदिर बंद हो गया। यात्री अंदर रह गए।
मध्य रात्रि में देवकृत भक्ति प्रारंभ हो गई वाद्य यंत्र घूंघरूयों की अत्यधिक तीव्र ध्वनि सुनी वह आश्चर्य हो गए वह घबरा गए मंदिर से निकलने के लिए उन्होंने आवाज दी ।

ये है गढ़ाकोटा नगर के गौरव

उपाध्याय गुप्ति सागर जी महाराज,मुनि अजीत सागर जी महाराज,मुनि प्रार्थना सागर जी महाराज, सिद्धांत सागर जी महाराज ,एवं पूज्य आर्यिका 105 आगममति माताजी।

नगर में है 9 जैन मंदिर

श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ पटेरिया जी ,दिगंबर चौधरी जैन मंदिर , छतपुरिया मंदिर, दिगंबर जैन बड़ा मंदिर, महावीर जिनालय , भजयाई मंदिर, नजयाई मंदिर ,शांतिनाथ जिनालय ,चंद्रप्रभु जिनालय।

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