सृष्टि को सुंदर बनाने में महिला शक्ति का विशेष योगदान: बहिन रुक्मिणी भदौरिया

बीना – जहां भी नारी की पूजा होती है वहां पर स्वयं सुख चैन देवता निवास करते हैं स्त्री प्यार का समुंदर है जो अपने बच्चों की पालना देख-रेख करती है मां जैसे-जैसे अपना आचरण करती है बच्चा भी वैसे-वैसे अपने जीवन में आचरण करने लगता है। यह बात रविवार को गांधी वार्ड स्थित सिंधी धर्मशाला में आयोजित जोन स्तरीय निरंकारी महिला संत समागम में उज्जैन से आई बहिन डॉक्टर रुक्मिणी भदौरिया जी ने कही।

 

उन्होंने कहा की सदगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के आशीर्वाद से निरंकारी महिला संत समागम बनाने का मुख्य उद्देश्य एक ही है कि सृष्टि को सुंदर बनाना है। और सृष्टि को सुंदर बनाने में महिला शक्ति का विशेष योगदान रहता है परिवार को चलाने के लिए प्रेम की आवश्यकता होती है तो प्रेम की शुरुआत मां से होती है मां अपने बच्चों को प्रेम करना आपस रहना एक दूसरे की भावना को समझना सिखाती है जिस घर में एक दूसरे की बात को मानते हैं वही परिवार होता है वहां प्रेम की भावना होती है जहां एक दूसरे की भावना को नहीं समझा जाता वहां घर-घर नहीं होता है वह दुकान बन जाता है जहां अपना-अपना काम करते हैं और चले जाते हैं
बहन रुक्मिणी जी ने कहा कि हम सभी सुनते आए हैं कि 84 लाख योनियों के बाद यह मानव जीवन मिला है। जब हम 84 लाख योनियों को पढ़ेंगे तब पता चलेगा कि बहुत छोटे-छोटे जीव होते हैं जिन्हें हम आंखों से भी नहीं देख पाते हैं ऐसी योनियों से गुजरना पड़ता है इसलिए ईश्वर को जानकर पार उतारा करने का एक ही साधन है और वह है मानव जीवन। समागम में आई हुई बहनों ने गीत व विचारों द्वारा सतगुरु के प्रति समर्पित अपने भाव व्यक्त किये। समागम में 500 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। साथ ही बीना विधायक निर्मला सप्रे भी कार्यक्रम में उपस्थिति रही।
बीना ब्रांच मुखी अर्जुन सिंह नाहर ने समागम में आई हुई संगतों का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के संयोजक जोनल इंचार्ज नारायण दास निरंकारी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर नरेश उप्पल, विजय झावा गुना, एन.पी. कुशवाहा, गुलाब निरंकारी, सुनील मनमानी सागर, केपी चौहान, उमेश नाहर, बसंत निरंकारी, श्रवण नाहर, मोहन बाबू विदिशा, वृंदावन पटेल, विजय सुंदरानी, प्रेम धामेचा, भगवानदास, समागम में उपस्थित रहे।

Leave a Comment