



भोपाल
केन्द्रीय जेल भोपाल में परम पूज्य सुप्रसिद्ध कथा वाचक पंडित अनिरूद्धाचार्य द्वारा श्री मदभगवत कथा (संतसंग) का दिनांक 28.02.2024 से प्रारम किया गया है। आज दिनांक 01.03.2024 को कथा के तृतीय दिवस में आचार्य द्वारा कथा मे बताया कि, राजा परिक्षित से आचार्य सुखदेव ने मनुष्य के जीवन को सात दिवस का बताया, इन सात दिवस के सारंश का महत्त्व बताते हुए कहा कि यह पानी के बुलबुले के समान होता है। जिसे सतकर्मो मे लगाने की शिक्षा प्रदाम की किसी उन्होने निन्दा करने को मनुष्य का सबसे बड़ा अबगुण बताया। आचार्य जी ने केन्द्रीय जेल के समस्त बंदीगणों एवं उपस्थित सभी कथा सुनने आए जनों को यह शिक्षा प्रदान की अपना दिमाग परिवार एवं संसार के सभी कमों में लगाना चाहिए जबकि दिल सिर्फ भगवान से लगाने पर ही जीवन में सच्चे आनन्द की प्राप्ति होती है। आचार्य जी ने मनुष्य को संतोषी प्रवृत्ति वाला होने संबंधी शिक्षा प्रदान करते हुए जीवन के चारो आश्रामों ब्रहमाचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, एवं संन्यास, में किए जाने वाले कार्यों के बारे में बताया जिससे जीवन सुख मय तरीके से व्यतित किया जा सकें।
आचार्य जी ने कथा के माध्यम से यह शिक्षा दी कि मनुष्य को जीवन में परोपकारी एवं पुण्य के काम करने चाहिए इसके लिए गीत के माध्यम से (मान मेरा कहना नही तो एक दिन पश्चताएगां, मिट्टी का खिलौना मिट्टी में मिल जाएगां।) आचार्य जी ने सभी बंदीगणों एवं उपस्थित सभी संतसंगीयों को आनंद बिभौर कर दिया उन्होने मन की शाक्ति का महत्व बताते हुए उसे नियत्रण में कैसे रखा जाए इसकी प्रेरणा दी। आचार्य जी ने संतसंग में जीवन का सबसे बड़ा बिकार गस्सा (क्रोध) को बताया। इसके लिए जेल में परिरूद्ध कुछ बंदियों के द्वारा क्रोध में किए गए अपराध के उदाहरण प्रस्तुत कर सभी बंदी गणों को क्रोध पर नियंत्रण रख जीवन में शांति कैसे प्राप्त की जाए इसकी शिक्षा प्रदान की। कथा में पधारे समस्त संतसंगीयों को आचार्य जी ने अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देकर उन्हें भगवान की शरण में लाकर विवेकी बनाकर उनका जीवन सफल बनाने की प्रेरणा प्रदान की। इसके लिए उन्होने भगवान कपिल एवं उनकी माता देवभूति से संबंधीत अख्यान प्रस्तुत कर सभी से प्रेम करने और सभी को ईश्वर की दृष्टि से देखने की शिक्षा प्रदान की। आचार्य जी ने संतसंग में भगवान शंकर जी एवं माता सती के अख्यान के माध्यम से सभी बंदी गणों एवं उपस्थित संतसंगीयों को यह शिक्षा प्रदान की कम बोलना चाहिए, ज्यादा सुनना चाहिए एवं झुठ कभी नही बोलना चाहिए इससे परिवार एवं संबंधो में बिखराव होता है। मनुष्य को परमात्मा की उपासना करने से जीवन मे सफलता मिलती है। उसके सारे कष्ट दूर होते है। कथा सुनकर उपस्थित सभी बंदी गणो द्वारा आचार्य श्री अनिरूद्ध आचार्य महाराज द्वारा दी गई शिक्षाओं को अत्मसाथ कर उन्हें जीवन में अपनाने का प्रण लिया। आचार्य के संतसंग से सम्पूर्ण केन्द्रीय जेल भोपाल भक्तिमय होकर हर्षो उल्लास के साथ आनंदित हो उठा ।