



सागर
आचार्य श्री के आशीर्वाद से भाग्योदय तीर्थ में बन रहे सर्वतोभद्र जिनालय का लाभ सिर्फ जैनों को नहीं बल्कि सभी समाजों को मिलेगा मंदिर निर्माण के बाद यह मंदिर आपके मानसिक दोषों को भी दूर करेगा मंदिरों में पैसा और बहुमूल्य चीजें बही लोग देते हैं मंदिरों में पूजा पाठ कर भगवान ने आपके बहुमूल्य दिया है भाग्योदय का सर्वतोभद्र जिनालय जिनदेव का अभूतपूर्व मंदिर बने वाला है। यह बात मुनि श्री विनम्र सागर महाराज ने वसंत पंचमी के अवसर पर धर्म सभा में भाग्योदय तीर्थ में कहीं।
मुनि श्री ने कहा इस मंदिर की कल्पना आचार्य श्री ने की थी और यह सागर वालों के लिए वरदान बनने वाली है इस मंदिर में लोहे का उपयोग नहीं किया जा रहा है आचार्य श्री की पवित्र भावना के अनुसार यह चतुर्मुखी जिनालय जिसमें चारों ओर श्री जी की प्रतिमाएं विराजमान होंगी और पत्थर के मंदिर की विशेषता यह है कि यह सूर्य की ऊष्मा को सोख लेता है और पानी को भी सोखता है मंदिर बनने के बाद अस्पताल के मरीज को भी सबसे ज्यादा फायदा होगा। मुनि श्री ने कहा इस मंदिर के परिसर में बैठने वाले व्यक्ति का मानसिक संतुलन ठीक रहेगा इस मंदिर का निर्माण सात्विक धन से धीरे-धीरे हो रहा है इस मंदिर में जो पीला पत्थर लग रहा है वह तबले की प्रकृति का पत्थर है जबकि कुंडलपुर में जो पत्थर लगा है वह बांसुरी की प्रकृति का है यह सागर का पहला जैन तीर्थ होगा सागर के लोगों की मानसिक शांति, समाधि के लिए होगा और दूर-दूर तक अशुद्धि का वातावरण नहीं होगा सागर के साथ-साथ विश्व के सभी लोगों को अपना द्रव्य इस मंदिर के निर्माण में लगाना चाहिए आचार्य श्री संत के साथ दार्शनिक संत भी हैं जैन शासन में मंदिर को भी भगवान कहा गया है गुरुदेव ने 30 वर्ष पूर्व इस जगह का नाम भाग्योदय तीर्थ रखा था तो लोगों ने कहा था अस्पताल बन रही है और तीर्थ का नाम दिया जा रहा है लेकिन गुरुदेव बहुत दूर की सोच करके कार्य करते हैं उस समय अस्पताल बनी लेकिन 7 वर्ष पहले इस मंदिर की आधारशिला रखी गई और धीरे-धीरे मंदिर पूर्णता की ओर बढ़ रहा है।