अपराधों के जनक- पाँच पापों से कैसे बचें


सागर/
केन्द्रीय जेल सागर मे मुनि श्री 108 अजित सागर महाराज संसघ एंव आर्यिका श्री दृढ़मति माता जी संसघ की आगवानी रविवार को हाथकरधा केन्द्र पर हुई । सागर जेल में चल रहे हाथकरधा सेंटर का अवलोकन मुनिजन एंव आर्यिका माताजी ने किया । प्रवचन श्रृंखला में आर्यिका दृढ़मति माता जी ने अपने प्रारभिंक प्रवचनों में दो लाइनें गाकर बर्दियों भाईयों का उत्साह बढ़ाया आपने बताया गुरू ने जहाँ जहाँ भी ज्योत जलाई है। काले काले बादलों में रोशनी सी छाई है। अखियों को खोलकर जरा ज्ञान में उजाले में रख विश्वास इस जग रखवालें में । कितनी ही बार मैने तुझे समझाई है गुरू के सिवा हर चीज पराई है। इसी प्रकार मुनि निर्लोभ सागर जी महाराज ने पाचों पापों की विशद व्याख्या की आपने बताया कि इन पापों का इस संसार में ही फल नहीं मिलता हमें नरकों में जाकर भी इन पाँच पापों की यातनाएं भोगना पड़ती है । अतः पापों से बचना चाहिए । मुनि श्री निर्दोष सागर जी महाराज ने अपने प्रवचनों में बताया कि कोध आ जाये तो रूक जाये, गल्ती हो जाये तो झुक जायें । महाराज जी ने बताया कि जीवन में मित्र बनाये तो हाथ और आँख जैसे होना चाहिए। जब शरीर में हाथ आदि में चोट लगती है तो आंख रोती है और जब आँख रोती है तो हाथ आसुओं को पोछतें है ।
मुनि अजित सागर महाराज ने अपने प्रवचनों में बंदी भाईयों को संबोधन देते हुए कहा कि पैर में मोच हो और इंसान की खराब सोच उन्हें आगे नहीं बढ़ने देती है । आपने कहा कि प्रभु का नाम लो सहारा मिलेगा, गुरू का नाम लो तो किनारा मिलेगा, मॉ का नाम लो तो इशारा मिलेगा । प्रवचन का मंगलाचरण कैदी भाई राम सिंह ने किया और मध्यम मंगलाचरण कैदी भाई मुकेश ने किया । आभार प्रदर्शन जेलर मांगी लाल पटैल द्वारा किया गया । आपने आभार प्रदर्शन में बताया कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आर्शीवाद से जेल में हाथकरघा का प्रकल्प प्रांरभ किया गया इसलिए सागर में जब भी महाराज जी, माता जी आते है तो हमारी जेल के बंदी भाईयों को सत्संग का लाभ मिलता है साधूओं के चरण पढ़ने से जेल पवित्र होती है सकारात्मक ऊर्जा बढ जाती है । जेलर मांगी लाल पटैल, उपजेलर पंकज कुशवाहा का
हाथकरघा कमेटी द्वारा किया गया ।
चित्र अनावरण एंव द्वीप प्रज्जवलन की कार्यवाही डा० मनीष जैन, डा0 अमित
जैन, श्रेयांस जैन एंव जेलर महोदय द्वारा की गई । जेल के बंदियों को मिष्ठान वितरण अविजित समूह के सदस्यों द्वारा लउडू बांटकर किया गया । बंदियों को समय का जेल में सुदप्रयोग हो सकें और अधिक से अधिक से मंत्रों की जाप हो इसके लिए परम पूज्य मुनि श्री निर्लोभ सागर द्वारा मंत्र जाप अंकन यंत्र बंदियों को सदस्यों द्वारा भेंट किया गया । जिसमें 108 मालाएं जप करने से मनोकामनांए पूर्ण
होती है ऐसी जानकारी दी गई । पूज्य मुनि श्री निर्लोभ सागर जी महाराज ने सागर की समस्त जनता से भी अपील की है विश्व कल्याण की भावनाओं से जो भी जाप करना चाहता है वह मुनि श्री निःशुल्क मंत्र जाप अंकन यंत्र प्राप्त कर सकता है साधुओं के दरवाजे सभी जीवों के लिए सदैव खुले रहते है कार्यक्रम का संचालन डा० रेखा दीदी द्वारा किया गया डा0 नीलम दीदी एंव डा0 राजा भैया द्वारा कार्यक्रम में सहयोग किया गया ।

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