‘परहित सरिस धरम नहीं भाई, पर पीड़ा सम नहीं अधमाई’ रचना को चरितार्थ किया रिशांक तिवारी ने
सागर परोपकार से बड़ा कोई पुण्य नहीं है। जो व्यक्ति स्वयं की “चता न कर परोपकार के लिए कार्य करता है, वही सच्चे अर्थों में मनुष्य है। परोपकार का अर्थ है दूसरे की भलाई करना। परमात्मा ने हमें जो भी शक्तियां व सामर्थ्य दिए हैं वे दूसरों का कल्याण करने के लिए दिए हैं। अगर … Read more