



सागर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन की चौथे वर्षगाँठ के अवसर पर शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर ऑडिटोरियम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2024 का आयोजन किया गया. उद्घाटन सत्र शिक्षा राज्य मंत्री और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी और शिक्षा एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार मौजूद की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ। उच्च शिक्षा विभाग के सचिव के. संजय मूर्ति ने स्वागत उद्बोधन दिया.
डॉ. हरीसिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने ‘इम्पोर्टेंस ऑफ़ सस्टेनेबिलिटी इन एजुकेशन करीकुलम, जॉब प्रॉस्पेक्ट्स, इंडस्ट्री-एकेडेमिया कोलैबोरेशन’ विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में सहभागिता की. पैनल परिचर्चा में यूजीसी के चेयरमैन प्रो. एम जगदीश कुमार, आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी, महाराष्ट्र के उच्च शिक्षा सचिव विकास रस्तोगी, एआईसीटीई के चेयरमैन प्रो. टी. जी. सीताराम, कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन श्री पी. एम. प्रसाद भी उपस्थित रहे.
कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में यूजीसी ने करीकुलम फ्रेमवर्क प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है. करीकुलम फ्रेमवर्क को अपनाने में और नीति के क्रियान्वयन में देश के सभी विश्वविद्यालयों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है जिसने शिक्षा को एक मजबूत आधार प्रदान किया है. विद्यार्थियों को रोजगारपरक पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने में भी शिक्षा नीति के मानदंडों के अनुरूप कई नए पाठ्यक्रम भी प्रारम्भ किये गये हैं. स्किल कोर्स पर भी बहुत जोर दिया गया है जिससे विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पूरी करने पर न केवल डिग्री लेकर जाएँ बल्कि उनके हाथों में हुनर भी हो जिससे वे स्वरोजगार को भी अपना सकें और आत्मनिर्भर बन सकें जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य भी है. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के भीतर कौशल विकास करने में इंडस्ट्री और शैक्षणिक संस्थानों के बीच आपसी समन्वय और साझेदारी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है. यह साझेदारी जितनी अधिक मजबूत होगी उतना ज्यादा लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा. इस माध्यम से विद्यार्थी तो लाभान्वित होंगे ही साथ ही विश्वविद्यालय और इंडस्ट्री दोनों समृद्ध होंगे.
परिचर्चा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन एवं आगामी रणनीतियों पर विचार विमर्श में प्रतिभागियों ने कई प्रश्न भी पूछे जिनका समाधान किया गया. परिचर्चा सत्र में देश के कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद्, शिक्षक, अधिकारी और छात्र भी सम्मिलित हुए.