स्वच्छता की जिम्मेदारी* *दुकानदारी के साथ भी –दुकानदारी के बाद भी*

सागर

स्वच्छता की जिम्मेदारी दुकान प्रारंभ होने के साथ शुरू होकर दुकान बंद होने तक होती है , यह बात दुकानदारों को समझना चाहिए और जिस प्रकार वह दुकान प्रारंभ करने के पहले स्थल की साफ- सफाई करते हैं वैसा ही दुकानदारी करते समय भी सफाई रखें और दुकान बंद करने के बाद उस स्थल की सफाई करके ही जाएं ताकि जिस स्थल पर वह बैठकर अपने परिवार की जरूरतो को पूरा करते हैं वह स्थल साफ सुथरा रहे और नगर को स्वच्छ बनाए रखने में भी योगदान हो।

यह समझाइश नगर निगम आयुक्त  राजकुमार खत्री ने सरस्वती वाचनालय के नीचे चाय- नाश्ते की दुकान के साथ पान की दुकान चलाने वाले दुकानदार को दी क्योंकि उसकी दुकान पर गुटके लेने वाले ग्राहक खाली पाऊच को दुकान के सामने डले देखकर उसे दुकानदार से कहा कि चाय नाश्ता बेचने वाले बुजुर्ग आदमी जो अपनी दुकान के आसपास साफ सफाई रखें हैं परंतु गुटके- पान खाने वालो को समझाये कि वह खाली पाऊचो को डस्टबिन में डालें और सार्वजनिक स्थान पर ना थूकें जिससे रेड स्पॉट ना बने और स्वच्छता बनी रहे, यह सुनकर उस दुकानदार ने स्वयं सफाई कर संकल्प लिया कि दुकान पर आने वाले ग्राहकों को पाऊच के खाली पैकिट डस्टबिन में ही डालने के लिए प्रेरित करेगा।
इसी प्रकार निगमायुक्त ने बस स्टैंड के सामने चाय बेचने वाले दुकानदार को डिस्पोजल के स्थान पर कांच के गिलासों में ही चाय देने के लिये कांच के गिलास दिए और दुकानदार से कांच के गिलासों में ही ग्राहकों को चाय देने की अपील के बाद दुकानदार ने संकल्प लिया कि वह डिस्पोजल का इस्तेमाल नहीं करेगा क्योंकि ऐसा करने से जहां स्वच्छता बनी रहेगी वहीं ग्राहकों को डिस्पोजल में चाय पीने से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान से भी बचाने का काम करेगा।

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