चारों युगों के भक्तों की श्रृंखला माला ही भक्तमाल है :- कुंज बिहारी दास भक्तमाली

बीना राजेशबबेले

(भक्तमाल कथा से पूर्व निकाली भव्य कलश शोभायात्रा )

बीना/” राधे-राधे प्रभात फेरी मंडल के तत्वाधान में सोमवार को भक्तमाल कथा के पूर्व सभी भक्तों को कुंज बिहारी दास भक्तमाली के निवास पर बाल भोग का आयोजन किया गया |
पश्चात मां जागेश्वरी धाम से भव्य कलश यात्रा प्रारंभ हुई जो मां जागेश्वरी मार्ग से होती हुई जैन स्कूल नरसिंह मंदिर रोड से प्रजापति गार्डन पहुंची जहां पर मुख्य यजमान दिनेश प्रजापति ने सभी भक्तों का स्वागत किया|
व्यास गादी से कुंज बिहारी दास भक्तमाली ने भक्तमाल कथा पर व्याख्या करते हुए कहा कि
भक्त के बिना भगवान् का अस्तित्व कैसा ? भक्त की भक्ति रूपी साधना ही भगवान् को प्रतिष्ठित करती है । चारों युगों के भक्तों की श्रृंखला माला ही भक्तमाल है । श्रीभक्तमाल ग्रन्थ के रचियता श्री नाभादास जी महाराज है । भक्तमाल कथा में भगवान् के प्रति भक्तों का समर्पण और उनकी दिव्य भक्ति का दर्शन हैं।
भक्ति भक्त भगवन्त गुरु,
चतुर नाम बपु एक ।
इनके पद बंदन किए,
नासत बिघ्न अनेक |
इस ग्रन्थ की यह विशेषता है कि इसमें सभी संप्रदयाचार्यों एवं सभी सम्प्रदायों के संतो का समान भाव से श्रद्धापूर्वक संस्मरण किया गया है ।
इसमें चारों युगों के भक्तों का वर्णन हैं। ध्रुव, प्रहलाद, द्वादश प्रधान भक्त सूर, कबीर, तुलसी, मीरा, ताजदेवी आदि अनेकों भक्तो की माला ही भक्तमाल है। भगवान् की कथा भक्त सुनते हैं, तो भक्तों की कथा स्वयं भगवान् सुनते हैं ।
भगवान् अपने से अधिक भक्तों को आदर देते हैं। भगवान् अपने भक्तों तथा सन्तो के हैं। श्रीमद्भागवत महापुराण में “अहं भक्त पराधीनः” कहकर भगवान् ने स्वयं भक्तों के आधीन होने की बात स्वीकारी है तथा गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है – “मोते संत अधिक कर लेखा” । भगवान् स्वयं कह रहे हैं कि मुझसे भी अधिक मेरे सन्तों की महिमा हैं।

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