भगवत प्राप्ती की कोई उम्र नहीं होती: जितेंन्द् सदर में श्रीमदभागवत कथा का आयोजन

मुकेश हरयानी
सागर।
सदर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास जितेन्द्र महाराज ने ध्रुव चरित्र के बारे में बताते हुए कहा कि भगवान को प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती है। ध्रुव ने अपने मन में दृढ़ संकल्प कर लिया था कि मुझे भगवान को प्राप्त करना है और उसी संकल्प को ध्यान में रखते हुए वनवास में तपस्या करते हुए छोटी सी उम्र में भगवान को प्राप्त किया।

मुखारया परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास जितेंन्द्र महाराज ने ध्रुव कथा प्रसंग में बताया कि सौतेली मां से अपमानित होकर ध्रुव ने कठोर तपस्या की तो भगवान प्रकट हुए और उन्हें अटल पद प्रदान किया। महाराज ने कहा कि जिस तरह हम दस अंक के मोबाइल नंबर से एक दूसरे से जुड़ जाते है, उसी प्रकार ध्रुव के पास बारह अंकों का नंबर था जिससे वह भगवत प्राप्ती कर सके । यह नंबर रूपी मंत्र था ॐ नमो भगवते वासुदेवाए नमः । इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि एकाग्रचित्त होकर दिल से स्मरण किया जाए तो भगवत प्राप्ती से कोई नहीं रोक सकता । जितेन्द्र महाराज ने कहा कि बच्चे की पहली गुरु उसकी मां होती है। मां चाहे तो बेटे को कुछ भी बना सकती है। आजकल माता-पिता अपनी संतान के लिए धन, सम्पत्ति बनाने में लगे हैं । अगर संतान गुणी नहीं होगी तो वह सब नष्ट कर देगी। इसलिए माता पिता को चाहिए कि वह अपनी संतान के लिए नहीं, संतान को बनाएं। जितेन्द्र महाराज ने विद्यावान, विद्वान और विद्यमान की व्याख्या करते हुए कहा कि विद्वान व्यक्ति अंहकारी हो सकता है। जैसे रावण विद्वान था लेकिन उसमें अंहकार था। लेकिन विद्यावान वह होता है जो निष्कपट, संस्कारी और दूसरों को देने वाला होता है। विद्यमान ईश्वर है जो सर्वव्यापी है। जितेंन्द्र महाराज ने कहा कि हमेशा विद्यावान बनो। आपके पास यदि विद्या है तो आप कहीं भी कुछ भी कर सकतें है और विद्या नहीं है तो आपका जीवन बेकार है । विद्या से ही ईश्वर की प्राप्ती संभव है । विद्या सारे कामों को सफल बनाती है । जितेन्द्र महाराज ने कहा कि मनुष्य के पास दो चीजें होती है दिल और दिमाग | दिल अगर परमात्मा में लगाओगे तो दिमाग में भी अच्छे विचार आएंगे । भगवान से कभी कुछ मत मांगो। बस एक चीज मांगों कि हर जन्म में आपका साथ न छूटे। श्रीमद भागवत कथा में जितेन्द्र महाराज ने भगवान शंकर-पार्वती विवाह का सुंदर चित्रण कर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया । कथा के दौरान भजनों की धुन पर श्रद्धालु जमकर नाचे । कथा श्रवण के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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