



नगर पालिका अध्यक्ष लता सकवार ने डॉक्टर पर लगाए अभद्रता के आरोप
नगर पालिका अध्यक्ष लता सकवार से डॉक्टर बोले आप अध्यक्ष नहीं लग रही
मैं 1 घंटे तक दर्द से तड़पती रही पर मुझे इलाज नहीं मिला तो आम आदमी का क्या होता होगा, अध्यक्ष लता सकवार
राजेश बबेले/बीना
बीना सिविल अस्पताल में पेट दर्द के इलाज के लिए पहुंचीं नगर पालिका अध्यक्ष लता सकवार ने डॉक्टर पर अभद्रता के आरोप लगाए। नगर पालिका अध्यक्ष लता सकवार ने रोते हुए बताया कि उन्हें तुरंत इलाज नहीं मिला। जब जनप्रतिनिधि का ये हाल है तो आम आदमी का क्या होता होगा। जब ड्यूटी डॉक्टर को बुलाने के लिए कहा तो उनसे कहा गया कि आप अध्यक्ष लग ही नहीं रही हो। अध्यक्ष लता सकवार ने बदतमीजी का आरोप भी डॉक्टर पर लगाया है।
लता सकवार का कहना है कि जब ये बात लोगों को पता चली तो उन्होंने बीएमओ (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) डॉ. अरविंद गौर से संपर्क किया, लेकिन वे मुख्यालय पर नहीं थे। इसके बाद पार्षदों ने सिविल अस्पताल के गेट पर धरना दे दिया। मामला बढ़ता देख डॉक्टर ने उनका इलाज शुरू किया। आराम नहीं मिलने पर उन्हें निजी अस्पताल ले जाना पड़ा।
इधर, डॉ. अभिषेक मिश्रा का कहना है कि नपाध्यक्ष उन्हें डॉक्टर मानने को तैयार ही नहीं थीं। शुक्रवार सुबह एसडीएम देवेंद्र प्रताप सिंह मामले की जांच के लिए बीना के सिविल अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कहा, जब नपाध्यक्ष अस्पताल पहुंची थी तब डॉक्टर अभिषेक मौजूद थे। दवाएं भी पर्चे पर लिखी थीं, लेकिन जब अध्यक्ष ने डॉक्टर कौन है पूछा तो ड्यूटी डॉक्टर ने स्वयं को डॉक्टर नहीं बताया। इसी से विवाद शुरू हो गया। डॉक्टर को समझाइश दी गई है।
मैं 1 घन्टे तक दर्द से तड़पती रही, अध्यक्ष लता सकवार
नगर पालिका अध्यक्ष लता सकवार ने बताया, पेट दर्द का इलाज कराने अस्पताल पहुंची। यहां डॉ. अभिषेक मिश्रा थे। उनसे पूछा कि ड्यूटी पर कौन है, तो कहने लगे ड्यूटी डॉक्टर खाना खाने गए हैं। डॉ. अभिषेक ने दवाएं लिखकर दे दीं। जब मैंने अपना पद बताया तो अभद्रता करने लगे। मैं एक घंटे तक दर्द से तड़पती रही, लेकिन इलाज नहीं मिला। मामले की अधिकारियों से शिकायत की है।
निजी अस्पताल जाकर कराया इलाज
नपाध्यक्ष पेट दर्द और बीपी बढ़ने से तकलीफ में थीं। दर्द से कराह रही थीं। अस्पताल में रोती रहीं। सिविल अस्पताल में इलाज के बाद भी जब आराम नहीं मिला तो उन्हें गुरुवार रात निजी अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान उनके साथ आए लोगों का कहना था कि बीएमओ से संपर्क करना चाहा, लेकिन वे मुख्यालय पर ही नहीं रहते हैं।
जानकारी मिलते ही पार्षदों ने धरना दिया
नपाध्यक्ष से अभद्रता की बात पार्षदों को पता चली वे सिविल अस्पताल पहुंच गए। यहां विरोध में अस्पताल के गेट पर धरना दिया। इनमें जितेंद्र बोहरे, बीडी रजक, विकास राजपूत, प्रहलाद यादव, नवीन साहू, गौरी राय, विजय लखेरा शामिल हैं।
डॉक्टर बोले- नपाध्यक्ष हमें डॉक्टर मानने को तैयार ही नहीं थीं
डॉ. अभिषेक का कहना है कि गुरुवार रात एक महिला पेट में दर्द की शिकायत लेकर आई थी। मैंने पर्ची बनवाने के बाद इंजेक्शन लगवाने और दवाई लेने का कहा, लेकिन वह बॉटल चढ़वाने पर अड़ी हुई थीं। उनका बीपी बढ़ा हुआ था, ऐसे में बॉटल चढ़ाना मुश्किल था। इसके बाद वह कहने लगीं कि मैं नपाध्यक्ष हूं, डॉक्टर को बुलाओ। वह हमें डॉक्टर मानने को ही तैयार नहीं थीं। मैंने उनसे कोई अभद्र व्यवहार नहीं किया। वे मुझसे आईकार्ड मांगने लगीं। उन्होंने इंजेक्शन भी नहीं लगवाए। बहस करने लगीं और पार्षदों को कॉल कर दिया। हंगामा शुरू कर दिया। इस पूरे मामले की जानकारी से बीएमओ को अवगत कराऊंगा।
एडीएम बोले- एक-दूसरे के बीच थी गलतफहमी
जब नपाध्यक्ष अस्पताल पहुंची थीं, तब डॉक्टर अभिषेक मौजूद थे। डॉ. अभिषेक ने पर्चे पर दवाएं भी लिखी थीं, लेकिन जब अध्यक्ष ने पूछा कि डॉक्टर कौन है तो ड्यूटी डॉक्टर ने स्वयं को डॉक्टर नहीं बताया और इसी से विवाद शुरू हो गया है। डॉक्टर को समझाइश दी गई है,*एसडीएम देवेन्द्र प्रताप सिंह*