सत्ता पक्ष के विधायक ने कलेक्टर से कहा- अवैध शराब बिक्री रोकिए साहब!

पुलिस और आबकारी विभाग पर मिलीभगत का आरोप
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संवाददाता ! सागर
इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है कि एक सत्ता पक्ष का विधायक स्थानीय प्रशासन पर आरोप लगाए की पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगत से पान की गुमटियों से लेकर किराना दुकानों तक अवैध शराब शराब बेची जा रही है! इस पर न पुलिस कोई कार्यवाही कर रही है ना आबकारी अमला ! शराब की बिक्री से जहां अपराध हो रहे हैं और आत्महत्या का ग्राफ बढ़ रहा है वही गांव की खुशहाली भी दूर है! प्रशासन के मुखिया कलेक्टर भी इस दिशा में कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं!
जी हां- यह 16 आने सच है सागर जिले के नरयावली विधानसभा क्षेत्र के गांव-गांव का! इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले चार बार से विधायक इंजीनियर प्रदीप लारिया ने कलेक्टर दीपक आर्य के नाम एक मांग पत्र देकर नरयावली विधानसभा क्षेत्र के कई गांव में बिकने वाली शराब बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है ! उन्होंने मांग पत्र में स्पष्ट आरोप लगाए हैं की पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगत से गांव-गांव शराब बेची जा रही है! विधायक लारिया का आरोप है इस गंभीर समस्या पर पहले भी ध्यान आकृष्ट कराया गया है नतीजा शून्य ही रहा!
उन्होंने कहा है अवैध शराब बिक्री के कारण जहां कई घर बर्बाद हो चुके हैं वहीं कई घर बर्बादी की कगार पर है !आंकड़े उठाकर देख जाएं तो अपराध और आत्महत्याओं का ग्राफ भी अवैध शराब बिक्री के कारण बढ़ रहा है विधायक लारिया ने कहा यह सिलसिला लंबे समय से जारी है! और कई बार प्रशासन को अवगत कराया गया लेकिन प्रशासन के मुखिया हर बार नजरअंदाज कर देते हैं! इस क्षेत्र में अवैध शराब के कारण बहन-बेटियों का साज ढलते ही निकलना मुश्किल है! और कल का भविष्य कहे जाने वाले बच्चे अपना वर्तमान बिगाड़ रहे हैं !
उन्होंने कलेक्टर श्री आर्य को दिए मांग पत्र में कहा है नरयावली विधानसभा क्षेत्र में पुलिस की रात्रि गस्त की जाए! जगह-जगह बिकने वाली शराब बिक्री रोकने के लिए संयुक्त अभियान चलाया जाए ! श्री लारिया ने ज्ञापन की प्रति एसपी सागर और सहायक आबकारी आयुक्त को भी भेजी है! मालूम हो कुछ समय पहले इसी विधानसभा क्षेत्र में  करीब ₹300000 का जुआ पकड़ा गया था इस विधानसभा क्षेत्र के हाईवे किनारे खुले कई ढाबा में अवैध शराब परोसी जा रही है वह भी सस्ते दामों में लेकिन पुलिस को सब मालूम है कार्रवाई के नाम पर सिर्फ  और सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित ।

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