



सागर । नाबालिग के साथ जबरन दुष्कृत्य करने वालेे आरोपी अजय पटैल को विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीष श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की न्यायालय ने दोषी करार देते हुये लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा- 5 (एल) सहपठित धारा-6 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास व पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड एवं भा.द.वि. की धारा-450 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास व पांच सौ रूपये अर्थदण्ड, धारा- 506(भाग-2) के तहत 04 वर्ष सश्रम कारावास व दो सौ रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है एवं माननीय न्यायालय द्वारा बालिका के पुर्नवास के लिये उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर 2,00,000/- (दो लाख रूपये) दिये जाने का आदेष दिया गया । मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्री मनोज कुमार पटैल ने की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायत करता/पीड़िता ने दिनांक 03.02.2021 को थाना केंट में रिपोर्ट लेख की गई कि वह आरोपी को करीब 4 माह से जानती है वह उसके पड़ोसी के घर आता-जाता था जिस कारण उसकी आरोपी अजय से पहचान हो गई थी। अभियुक्त अजय उससे कहता था कि वह उसे अच्छी लगती है और कभी-कभी उससे मिलने घर तरफ आ जाता था। दिनांक 20.11.20 को दोपहर करीब 2 बजे की बात है वह घर पर अकेली थी, तब अभियुक्त अजय घर आया और उससे पूछा कि घर पर कौन है तो उसने बताया कि सभी काम पर गए हैं फिर अभियुक्त अजय घर पर थोड़ी देर बैठा और घर के दरवाजे लगा लिए। उसने कहा कि ये क्या कर रहे हो तो वो उसके साथ गंदी हरकत करने लगे और जबरदस्ती उसके साथ गलत काम किया। वह चिल्लाई लेकिन आसपास कोई नही था। उसने अजय से कहा कि वह उसकी शिकायत करेगी तो अजय ने कहा कि उसका बाप व भाई दोनों काम पर जाते हैं यदि उसने किसी को बताया तो दोनों घर वापस नही आ पाएंगे जिससे वह डर गई और उसने यह बात किसी को नही बताई। उसके बाद आए दिन अजय उसके साथ गलत काम (बलात्कार) करता था । यह बात वह अपनी मां को बताना चाह रही थी लेकिन वह बता नही पा रही थी। फिर दिनांक 01.02.21 को हिम्मत करके उसने अपनी मम्मी को सारी बात बता दी उसके बाद मम्मी-पापा के साथ अजय के खिलाफ रिपोर्ट लेख कराई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-केंट द्वारा धारा-450, 506 भाग-2, 376(2)(एन) भा.दं.सं. एवं धारा-5(एल) सहपठित धारा-6, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीष श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है।